अधिकारी उस नाविक की तलाश कर रहे हैं जो आग की घटना के बाद से लापता है।
भारतीय नौसेना ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जहाज पर भीषण आग लगने के बाद आईएनएस ब्रह्मपुत्र समुद्र में अपनी तरफ आराम कर रहा है।
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अधिकारी उस नाविक की तलाश कर रहे हैं जो आग की घटना के बाद से लापता है।
नौसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
आईएनएस ब्रह्मपुत्र में 21 जुलाई को आग लग गई थी। मुंबई के नौसैनिक डॉकयार्ड से अग्निशमन दल की सहायता से जहाज के चालक दल ने आग पर काबू पा लिया था, लेकिन यह अपने बंदरगाह की तरफ “झुक” गया था।
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बल ने एक बयान में कहा कि प्रयासों के बावजूद जहाज को सीधा नहीं किया जा सका।
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नौसेना ने बयान में कहा, “भारतीय नौसेना के बहुउद्देशीय फ्रिगेट जहाज ब्रह्मपुत्र पर 21 जुलाई, 24 की शाम को उस समय आग लग गई थी, जब वह मरम्मत के काम में लगा था। नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई {एनडी (एमबीआई)} और बंदरगाह में मौजूद अन्य जहाजों के अग्निशामकों की सहायता से जहाज के चालक दल ने 22 जुलाई, 24 की सुबह तक आग पर काबू पा लिया। इसके अलावा, आग के जोखिम के आकलन के लिए सैनिटाइजेशन जांच सहित अनुवर्ती कार्रवाई की गई।” बयान में कहा गया,
“फ्रिगेट आईएनएस ब्रह्मपुत्र पर आग लगने की घटना में, युद्धपोत एक तरफ (बंदरगाह की तरफ) गंभीर रूप से झुक गया। सभी प्रयासों के बावजूद, जहाज को सीधा नहीं किया जा सका। जहाज अपने बर्थ के साथ-साथ और भी झुकता गया और वर्तमान में एक तरफ टिका हुआ है।” नौसेना ने कहा कि एक जूनियर नाविक को छोड़कर सभी कर्मियों को बचा लिया गया है। इसमें कहा गया है, “एक जूनियर नाविक को छोड़कर सभी कर्मियों का पता लगा लिया गया है, जिसकी तलाश जारी है। दुर्घटना की जांच के लिए भारतीय नौसेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं।”
Source HT
भारतीय नौसेना
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भारतीय नौसेना (अंग्रेज़ी: Indian Navy) भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि 400 वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है। भारत के राष्ट्रपति इस सेना के सेनापति।
भारतीय नौसेना सन् 1612 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में “इंडियन मेरीन” संगठित की गई। 1685 ई. में इसका नामकरण “बंबई मेरीन” हुआ, जो 1830 ई. तक चला। 8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का प्रादुर्भाव हुआ।
जून 2019, भारतीय नौसेना के पास 67,252 सक्रिय सैनिक और 75,000 रिजर्व सैनिक है और 150 जहाजों और पनडुब्बियों का बेड़ा हैं और 300 विमान हैं।[4][5] अक्टूबर 2020 के अनुसार ऑपरेशनल बेड़े में 2 विमान वाहक, 1 और तैयार हैं (परीक्षण में), 1 उभयचर युद्ध पोत, 8 लैंडिंग शिप टैंक, 10 युद्धपोत, 13 फ्रिगेट, 23 कॉर्वेट, 1 माइन काउंटर वेसल, 3 परमाणु पनडुब्बी, 15 डीजल पनडुब्बी, 140 पेट्रोल वेसल, 4 रिप्लेनिशमेंट ऑयलर, और सहायक जहाज हैं। इसे एक रीजनल पॉवर के तौर पर देखा जाता है जो एक ब्लू-वाटर नवी बनाने में सक्षम हैं।[8][9][10]
इतिहास[संपादित करें]
स्वतंत्रताप्राप्ति के समय भारत की नौसेना नाम मात्र की थी। विभाजन की शर्तों के अनुसार लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान को चली गई। कुछ अतिशय महत्व के नौसैनिक संस्थान भी पाकिस्तान के हो गए। भारत सरकार ने नौसेना के विस्तार की तत्काल योजना बनाई और एक वर्ष बीतने के पहले ही ग्रेट ब्रिटेन से 7, 030 टन का क्रूजर “ दिल्ली” खरीदा। इसके बाद ध्वंसक “ राजपूत“, “ राणा“, “ रणजीत“, “ गोदावरी“, “ गंगा” और “ गोमती” खरीदे गए। इसके बाद आठ हजार टन का क्रूजर खरीदा गया। इसका नामकरण “ मैसूर” हुआ। 1964 ई. तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक, “ विक्रांत” (नौसेना का ध्वजपोत), क्रूजर “दिल्ली” एवं “मैसूर” दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन थे, जिनमें कुछ अति आधुनिक पनडुब्बीनाशक तथा वायुयाननाशक फ्रिगेट सम्मिलित किए जा चुके थे। “ ब्रह्मपुत्र“, “ व्यास“, “ बेतवा “, “ खुखरी,” “ कृपाण“, “ तलवार” तथा “ त्रिशूल” नए फ्रिगेट हैं,[11] जिनका निर्माण विशेष रीति से हुआ है। “ कावेरी“, “ कृष्ण” और “ तीर” पुराने फ्रिगेट हैं जिनका उपयोग प्रशिक्षण देने में होता है। “कोंकण“, “कारवार“, “काकीनाडा” “कणानूर”, “कडलूर“, “बसीन” तथा “बिमलीपट्टम” से सुंरग हटानेवाले तीन स्क्वाड्रन तैयार किए गए हैं। छोटे नौसैनिक जहाजों के नवनिर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है और तीन सागरमुख प्रतिरक्षा नौकाएँ, “अजय”, “अक्षय” तथा “अभय” और एक नौबंध “ध्रुवक” तैयार हो चुके हैं। कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं। आई एन एस अरिहन्त भारत की नाभिकीय उर्जा पनडुब्बी है
In 2022 September 2 India’s first Indigenious aircraft vehicle launch name INS VIKRANT
संगठन और नेतृत्व[संपादित करें]
भारतीय नौसेना (अंग्रेज़ी: Indian Navy) भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि 400 वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है। भारत के राष्ट्रपति इस सेना के सेनापति।
भारतीय नौसेना सन् 1612 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में “इंडियन मेरीन” संगठित की गई। 1685 ई. में इसका नामकरण “बंबई मेरीन” हुआ, जो 1830 ई. तक चला। 8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का प्रादुर्भाव हुआ।
जून 2019, भारतीय नौसेना के पास 67,252 सक्रिय सैनिक और 75,000 रिजर्व सैनिक है और 150 जहाजों और पनडुब्बियों का बेड़ा हैं और 300 विमान हैं।[4][5] अक्टूबर 2020 के अनुसार ऑपरेशनल बेड़े में 2 विमान वाहक, 1 और तैयार हैं (परीक्षण में), 1 उभयचर युद्ध पोत, 8 लैंडिंग शिप टैंक, 10 युद्धपोत, 13 फ्रिगेट, 23 कॉर्वेट, 1 माइन काउंटर वेसल, 3 परमाणु पनडुब्बी, 15 डीजल पनडुब्बी, 140 पेट्रोल वेसल, 4 रिप्लेनिशमेंट ऑयलर, और सहायक जहाज हैं। इसे एक रीजनल पॉवर के तौर पर देखा जाता है जो एक ब्लू-वाटर नवी बनाने में सक्षम हैं।[8][9][10]
इतिहास[संपादित करें]
स्वतंत्रताप्राप्ति के समय भारत की नौसेना नाम मात्र की थी। विभाजन की शर्तों के अनुसार लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान को चली गई। कुछ अतिशय महत्व के नौसैनिक संस्थान भी पाकिस्तान के हो गए। भारत सरकार ने नौसेना के विस्तार की तत्काल योजना बनाई और एक वर्ष बीतने के पहले ही ग्रेट ब्रिटेन से 7, 030 टन का क्रूजर “ दिल्ली” खरीदा। इसके बाद ध्वंसक “ राजपूत“, “ राणा“, “ रणजीत“, “ गोदावरी“, “ गंगा” और “ गोमती” खरीदे गए। इसके बाद आठ हजार टन का क्रूजर खरीदा गया। इसका नामकरण “ मैसूर” हुआ। 1964 ई. तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक, “ विक्रांत” (नौसेना का ध्वजपोत), क्रूजर “दिल्ली” एवं “मैसूर” दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन थे, जिनमें कुछ अति आधुनिक पनडुब्बीनाशक तथा वायुयाननाशक फ्रिगेट सम्मिलित किए जा चुके थे। “ ब्रह्मपुत्र“, “ व्यास“, “ बेतवा “, “ खुखरी,” “ कृपाण“, “ तलवार” तथा “ त्रिशूल” नए फ्रिगेट हैं,[11] जिनका निर्माण विशेष रीति से हुआ है। “ कावेरी“, “ कृष्ण” और “ तीर” पुराने फ्रिगेट हैं जिनका उपयोग प्रशिक्षण देने में होता है। “कोंकण“, “कारवार“, “काकीनाडा” “कणानूर”, “कडलूर“, “बसीन” तथा “बिमलीपट्टम” से सुंरग हटानेवाले तीन स्क्वाड्रन तैयार किए गए हैं। छोटे नौसैनिक जहाजों के नवनिर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है और तीन सागरमुख प्रतिरक्षा नौकाएँ, “अजय”, “अक्षय” तथा “अभय” और एक नौबंध “ध्रुवक” तैयार हो चुके हैं। कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं। आई एन एस अरिहन्त भारत की नाभिकीय उर्जा पनडुब्बी है
In 2022 September 2 India’s first Indigenious aircraft vehicle launch name INS VIKRANT