पीएम मोदी आर्थिक सर्वेक्षण में अमृत काल में विकास के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें निजी निवेश को बढ़ावा देना और एमएसएमई का विस्तार करना शामिल है।
पीएम मोदी
संसद सत्र से पहले पीएम मोदी ने कहा, “यह गर्व की बात है कि 60 साल बाद कोई सरकार तीसरी बार सत्ता में आई है और तीसरी बार पहला बजट पेश करेगी…मैं देश के लोगों को गारंटी देता रहा हूं और हमारा मिशन इसे जमीन पर उतारना है। यह बजट अमृत काल के लिए महत्वपूर्ण बजट है। आज का बजट हमारे कार्यकाल के अगले 5 साल की दिशा तय करेगा। यह बजट हमारे विकसित भारत के सपने का मजबूत आधार भी बनेगा।”
निजी निवेश को बढ़ावा देना: सर्वेक्षण में कहा गया है कि आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने पर जोर देना महत्वपूर्ण है।
एमएसएमई का विस्तार: भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास और विस्तार को प्राथमिकता देना आर्थिक सर्वेक्षण में एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया है।
विकास इंजन के रूप में कृषि: आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार मौजूदा नीतिगत बाधाओं को दूर करके प्रमुख विकास चालक के रूप में कृषि पर अधिक से अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
हरित संक्रमण वित्तपोषण: दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत के हरित संक्रमण के लिए वित्तपोषण को सुरक्षित करना सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है।
शिक्षा-रोजगार अंतर को पाटना: सर्वेक्षण में कहा गया है कि शिक्षा और रोजगार के बीच अंतर को पाटना बहुत महत्वपूर्ण है।
राज्य की क्षमता और योग्यता का निर्माण: राज्य की क्षमता और योग्यता का विकास के लिए कम्युनिकेशंस को प्रभावी ढंग से लागू करना और विकास को गति देना भी एक महत्वपूर्ण कारक होगा। आर्थिक सर्वेक्षण ने अमृत काल में छह प्रमुख क्षेत्रों में विकास के लिए कृषि और “शिक्षा-रोजगार” की पहचान बताई।
स्रोत हिंदुस्तान टाइम्स
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नरेन्द्र दामोदरदास मोदी[a] (उच्चारण सहायता·सूचना, गुजराती: નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી; जन्म: भारांग: भाद्रपद शुक्ल षष्ठी १८७२/ ग्रेगोरी कैलेण्डर: सितम्बर 17, 1950) 26 मई 2014 से अब तक लगातार तीसरी बार वे भारत के प्रधानमन्त्री बने हैं तथा वाराणसी से लोकसभा सांसद भी चुने गये हैं।[2][3] वे भारत के प्रधानमन्त्री पद पर आसीन होने वाले स्वतन्त्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। इससे पहले वे 7 अक्तूबर 2001 से 22 मई 2014 तक गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री रह चुके हैं। मोदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य हैं।[4]
वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ वर्ष की आयु में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लम्बे समय तक सम्बन्धित रहे।[5] स्नातक होने के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और अनेकों धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे उसके बाद अहमदाबाद चले गए।[6] 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश भर में आपातकाल की स्थिति के समय उन्हें कुछ समय के लिए अज्ञातवास करना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे भाजपा में सचिव के पद पर पहुँचे गए।[7]
गुजरात भूकम्प २००१, (भुज में भूकम्प) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और खराब सार्वजनिक छवि के कारण श्री नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया। श्री नरेंद्र मोदी शीघ्र ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, इस समय उनके संचालन की आलोचना भी हुई।[8] हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जाँच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही आरम्भ करने के लिए कोई प्रमाण नहीं मिला।[9] गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेय दिया गया।[10]
वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके अच्छे कामों के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) गुजरात का मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त श्री नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं॥[11] टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है।[12]
अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं।[13][14]
उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।[15] एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज की।[16][17] उनके राज में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बुनियादी सुविधाओं पर खर्च तेजी से बढ़ा।[18] उन्होंने अफसरशाही में कई सुधार किये तथा योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग का गठन किया।[19]
इसके बाद वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल हुई। पार्टी ने कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 352 सीटें प्राप्त हुईं।[20] 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमन्त्री बने।[21]
2019 के आम चुनाव में उनकी पार्टी की जीत के बाद, उनके प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर की विशेष राज्य का दर्जा को रद्द कर दिया। उनके प्रशासन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ भी पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मोदी अपने हिन्दू राष्ट्रवादी विश्वासों और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनकी कथित भूमिका पर घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का एक आँकड़ा बना हुआ है,[22] जिसे एक बहिष्कारवादी सामाजिक एजेण्डे के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है। मोदी के कार्यकाल में, भारत ने लोकतान्त्रिक बैकस्लेडिंग का अनुभव किया है।[23][24]
इसके बाद वर्ष 2024 में भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पार्टी ने कुल 240 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 292 सीटें प्राप्त हुईं।[25] 9 जून 2024 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमन्त्री बने। शपथ ग्रहण के बाद वह पहले ऐसे अन कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जो 1962 के बाद लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू के बराबरी की।
निजी जीवन
नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में १७ सितम्बर १९५० को हुआ था।[28] वह पैदा हुए छह बच्चों में तीसरे थे। मोदी का परिवार ‘मोध-घांची-तेली‘ समुदाय से था,[29][30] जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।[31] वह पूर्णत: शाकाहारी हैं।[32] भारत पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध के दौरान अपने तरुणकाल में उन्होंने स्वेच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफ़र कर रहे सैनिकों की सेवा की।[33] युवावस्था में वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए | उन्होंने साथ ही साथ भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा लिया। एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य करने के पश्चात् उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया।[34] किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चला चुके मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की।[28] उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय